धर्म की ओट
धर्म की ओट में रूढ़ियों के पुजारी बनना या उसके विरोध में डटे रहना दोनों ही ठीक नहीं माने जा सकते। कहना यह है कि न तो आप प्राचीनता के पुजारी बनें और न नवीनता के। आप जनकल्याण के पुजारी बनें। इसी दृष्टि से धर्मों का जिस रूप में जैसा उपयोग हो सके; निष्पक्ष होकर वैसा ही करें। धर्म संस्थाओं का मुख्य काम आदमी के दिल पर नीति और सदाचार के संस्कार डालना है। सभी धर्मों ने यही काम क्या है। इसलिए धर्मों में समानता देखनी चाहिए और धर्म संस्थाओं की संख्या से घबराएँ नहीं।
Becoming a priest of customs in the guise of religion or standing against it, both cannot be considered right. It is to say that neither you become a priest of antiquity nor of newness. You become a priest of public welfare. From this point of view, religions can be used in whatever way; Be fair and do the same. The main function of religious institutions is to inculcate morals of ethics and virtue on the heart of man. This is what all religions have done. Therefore there should be equality in religions and do not be intimidated by the number of religious institutions.
Veil of Religion | Arya Samaj Kota, 8120018052 | Marriage in Arya Samaj Mandir Kota | Hindu Pandits Helpline Kota | Arya Samaj Court Marriage Kota | Arya Samaj Marriage Consultant Kota | Arya Samaj Shadi Procedure Kota | Hindu Wedding Helpline Kota | Marriage Procedure of Arya Samaj Kota | Arya Samaj Helpline Kota | Arya Samaj Marriage Documents Kota | Arya Samaj Temple Kota | Indore Aarya Samaj | Marriage Service by Arya Samaj Kota | Arya Samaj Hindu Temple Kota | Arya Samaj Marriage Guidelines Kota | Arya Samaj Vivah Kota | Inter Caste Marriage Kota | Marriage Service by Arya Samaj Mandir Kota | Arya Samaj Indore | Arya Samaj Marriage Helpline Kota
वेद प्रचारक स्वामी दयानन्द महर्षि स्वामी दयानन्द ने वेद प्रचार के लिए ही मुख्यतः सर्वाधिक प्रयत्न किये। उनके मौखिक प्रचार के अतिरिक्त वेदों का भाष्य, सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका एवं संस्कारविधि आदि विभिन्न ग्रन्थ वेद प्रचार के ही अंग-प्रत्यंग हैं। वह महाभारत काल के बाद के अपूर्व वेद प्रचारक हुए हैं।...