भयंकर दुष्परिणाम
बिजली, भाप, गैस, पेट्रोल, अणु ऊर्जा आदि शक्तियाँ कितनी उपयोगी हैं; सभी जानते हैं, पर यदि इनमें से किसी का भी दुरूपयोग किया जाए, और वे भयंकर दुष्परिणाम उत्पन्न करती हैं। साहित्यकार कैसे साहित्य लिख रहे हैं; कलाकर किन प्रवृत्तियों को उभार रहे हैं ? इसे अत्यंत निराशापूर्वक देखा जा सकता है। दुनिया में एक-से-एक बुद्धिमान भरे पड़े हैं। जिनमें से थोड़ी भी प्रतिभाएँ यदि जनमानस को दिशा देने में लग गई होतीं, तो दुनिया की स्थिति ऐसी न होती; जैसी आज है।
How useful are the powers like electricity, steam, gas, petrol, atomic energy etc.; Everyone knows, but if any of these are misused, and they cause dire consequences. How writers are writing literature; What trends are artists promoting? This can be viewed as very disappointing. There is one wise man in the world. If even a little genius of whom had been engaged in giving direction to the public, then the condition of the world would not have been like this; As it is today.
वेद प्रचारक स्वामी दयानन्द महर्षि स्वामी दयानन्द ने वेद प्रचार के लिए ही मुख्यतः सर्वाधिक प्रयत्न किये। उनके मौखिक प्रचार के अतिरिक्त वेदों का भाष्य, सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका एवं संस्कारविधि आदि विभिन्न ग्रन्थ वेद प्रचार के ही अंग-प्रत्यंग हैं। वह महाभारत काल के बाद के अपूर्व वेद प्रचारक हुए हैं।...