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विशेष सूचना - Arya Samaj, Arya Samaj Mandir तथा Arya Samaj Marriage और इससे मिलते-जुलते नामों से Internet पर अनेक फर्जी वेबसाईट एवं गुमराह करने वाले आकर्षक विज्ञापन प्रसारित हो रहे हैं। अत: जनहित में सूचना दी जाती है कि इनसे आर्यसमाज विधि से विवाह संस्कार व्यवस्था अथवा अन्य किसी भी प्रकार का व्यवहार करते समय यह पूरी तरह सुनिश्चित कर लें कि इनके द्वारा किया जा रहा कार्य पूरी तरह वैधानिक है अथवा नहीं। "आर्यसमाज विवाह सेवा कोटा" अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट द्वारा संचालित कोटा में एकमात्र Marriage Helpline है। भारतीय पब्लिक ट्रस्ट एक्ट (Indian Public Trust Act) के अन्तर्गत पंजीकृत अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट एक शैक्षणिक-सामाजिक-धार्मिक-पारमार्थिक ट्रस्ट है। Arya Samaj Marriage Helpline Kota is run under aegis of Akhil Bharat Arya Samaj Trust. Akhil Bharat Arya Samaj Trust is an Eduactional, Social, Religious and Charitable Trust Registered under Indian Public Trust Act. Arya Samaj Marriage Helpline Kota is the only Helpline controlled by Akhil Bharat Arya Samaj Trust in Kota. We do not have any other branch or Centre in Kota. Kindly ensure that you are solemnising your marriage with a registered organisation and do not get mislead by large Buildings or Hall.
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अभिव्यक्ति
आमतौर से शेखी बघारने में लोग उन्हीं बातों की चर्चा करते हैं, जो दूसरों में नहीं हैं। जैसे मैट्रिक तक पढ़े व्यक्ति के सामने बी०ए०, एम०इ० पास होने की चर्चा करना प्रकारांतर से उसका अपमान है; विशेषतया तब, जब वैसा कहने की कोई विशेष आवश्यकता न हो। सुनने वाला सोचने लगता है कि यह चर्चा मुझे लज्जित करने या हेय ठहराने के लिए की जा रही है। अपनी मान्यता को सीधे प्रकट कर देना और दूसरे की मान्यता को जाने बिना, जो स्वयं को कहना है; उसी की अभिव्यक्ति में जुट जाना उचित परिणाम उत्पन्न करने में बाधक होता है। होना यह चाहिए कि जो कुछ दूसरे की मान्यता है; पहले उसे समझा जाए। इसके बाद इस प्रकार की शैली की  जाएँ।

Usually, in bragging, people talk about only those things which are not in others. For example, discussing passing BA, ME in front of a person who has studied up to matriculation is an insult to him in turn; Especially when there is no special need to say so. The listener begins to think that this discussion is being done to put me to shame or to belittle. expressing one's own beliefs directly and without knowing the beliefs of others, which one has to say; Getting involved in the expression of the same is a hindrance in producing proper results. It must be that which is the belief of the other; Let him understand first. After that do this type of style.

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  • वेद प्रचारक स्वामी दयानन्द

    वेद प्रचारक स्वामी दयानन्द महर्षि स्वामी दयानन्द ने वेद प्रचार के लिए ही मुख्यतः सर्वाधिक प्रयत्न किये। उनके मौखिक प्रचार के अतिरिक्त वेदों का भाष्य, सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका एवं संस्कारविधि आदि विभिन्न ग्रन्थ वेद प्रचार के ही अंग-प्रत्यंग हैं। वह महाभारत काल के बाद के अपूर्व वेद प्रचारक हुए हैं।...

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