विकास यात्रा
देश, समाज उसकी विकासयात्रा के अगले पड़ाव हैं, लेकिन वे बहुत दूर हैं। उन्हें लक्ष्य कहा जा सकता है, खाका बताया जा सकता है, जिन्हे अभी ठोस आकार लेना है। अध्यात्मविद् यह भी मानते हैं कि इन रेखाओं में रंग भरने रेखाओं में भरने से पहले ही एक दुर्घटना घट गई है। उस दुर्घटना के कारण परिवारसंस्था सुदृढ़ होने के स्थान पर जर्जर होने लगी। अब उसके टूटने के लक्षण दिखाई देने लगे हैं। समाजशास्त्री कहते हैं कि उस दुर्घटना के कारण परिवार के सदस्य एक-दूसरे के प्रति सेवा और उत्सर्ग का भाव रखने के स्थान पर स्वार्थी-संकीर्ण होने लगे हैं। अपने सुख और भोग के लिए अत्यंत आत्मीय स्वजन की बलि चढ़ाने में अब हिचक भी मिटती जा रही है।
The country and society are the next steps in his development journey, but they are far away. They can be called goals, blueprints, which are yet to take concrete shape. Spiritualists also believe that an accident has happened before the lines are filled with color. Due to that accident, instead of strengthening the family institution, it started becoming dilapidated. Now the signs of its breakdown are starting to show. Sociologists say that due to that accident, the members of the family have started becoming selfish-narrow instead of having a sense of service and sacrifice towards each other. For the sake of our happiness and enjoyment, even the hesitation in sacrificing the most intimate kinsmen is disappearing.
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वेद प्रचारक स्वामी दयानन्द महर्षि स्वामी दयानन्द ने वेद प्रचार के लिए ही मुख्यतः सर्वाधिक प्रयत्न किये। उनके मौखिक प्रचार के अतिरिक्त वेदों का भाष्य, सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका एवं संस्कारविधि आदि विभिन्न ग्रन्थ वेद प्रचार के ही अंग-प्रत्यंग हैं। वह महाभारत काल के बाद के अपूर्व वेद प्रचारक हुए हैं।...