समाज में एकरूपता
समाज में सबके साथ एकरूपता होनी चाहिए। अतः शिक्षा को एकांगी न होकर वाणी, मन, देह, बुद्धि, ज्ञानेंद्रियों आदि सबके विकास का माध्यम बनाना चाहिए। विनोबा जी मानते थे कि मानवता के भविष्य में हिंसा का कोई स्थान नहीं रहना चाहिए, इसीलिए वे मनुष्य के नैतिक विकास के बड़े पक्षधर थे। विनोबा जी के अनुसार समाज का नैतिक स्तर ऊपर उठने के साथ समाज में प्रशासन की जरूरत भी कम होती जाएगी। विनोबा जी की संकल्पना थी की सूर्योदय अपने श्रेष्ठ रूप में शासनमुक्त होगा।
There should be equality with everyone in the society. Therefore, education should not be one-sided but should be made a medium for the development of speech, mind, body, intellect, sense organs, etc. Vinoba ji believed that violence should have no place in the future of humanity, that is why he was a great advocate of the moral development of man. According to Vinoba ji, as the moral level of the society rises, the need for administration in the society will also decrease. Vinoba ji's concept was that the sunrise would be rule-free in its best form.
Homogeneity in Society | Arya Samaj Mandir Kota, 8120018052 | Arya Samaj Marriage Documents Kota | Arya Samaj Temple | Indore Aarya Samaj | Marriage Service by Arya Samaj Kota | Arya Samaj Hindu Temple Kota | Arya Samaj Marriage Guidelines | Arya Samaj Vivah | Inter Caste Marriage Kota | Marriage Service by Arya Samaj Mandir Kota | Arya Samaj Indore | Arya Samaj Marriage Helpline Kota | Arya Samaj Vivah Lagan | Marriage Service in Arya Samaj Kota | Arya Samaj Inter Caste Marriage | Arya Samaj Marriage Indore | Inter Caste Marriage Helpline Kota | Marriage Service in Arya Samaj Mandir Kota
वेद प्रचारक स्वामी दयानन्द महर्षि स्वामी दयानन्द ने वेद प्रचार के लिए ही मुख्यतः सर्वाधिक प्रयत्न किये। उनके मौखिक प्रचार के अतिरिक्त वेदों का भाष्य, सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका एवं संस्कारविधि आदि विभिन्न ग्रन्थ वेद प्रचार के ही अंग-प्रत्यंग हैं। वह महाभारत काल के बाद के अपूर्व वेद प्रचारक हुए हैं।...