जीवन में विविधता
स्वार्थ से परमार्थ की ओर जीवन का पलड़ा पलटते ही निराशा का अँधेरा छँटने लगता है और आशा का नवसंचार होता है। किसी बँधे-बँधाए ढर्रे पर चलते रहने से उपजी ऊब भी निराशा का कारण बनती है। इस अवस्था से उबरने के लिए जीवन में विविधता का होना महत्वपूर्ण हो जाता है। कला, संगीत, साहित्य, खेल, मनोरंजन, लोकसंपर्क, यात्रा, तीर्थाटन, धार्मिक कृत्य आदि जीवन के अनेक पहलुओं को अपनी रूचि के अनुरूप दैनिक जीवनक्रम में स्थान देने से उत्साह के कई आधार तैयार किए जा सकते हैं।
As soon as the turn of life turns from selfishness to altruism, the darkness of despair begins to dissipate and there is a new infusion of hope. The boredom arising out of walking on a tied road also becomes a reason for disappointment. To overcome this stage, having diversity in life becomes important. Art, music, literature, sports, entertainment, public relations, travel, pilgrimage, religious acts, etc., by giving place in the daily routine of many aspects of life according to one's interest, many bases of enthusiasm can be created.
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वेद प्रचारक स्वामी दयानन्द महर्षि स्वामी दयानन्द ने वेद प्रचार के लिए ही मुख्यतः सर्वाधिक प्रयत्न किये। उनके मौखिक प्रचार के अतिरिक्त वेदों का भाष्य, सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका एवं संस्कारविधि आदि विभिन्न ग्रन्थ वेद प्रचार के ही अंग-प्रत्यंग हैं। वह महाभारत काल के बाद के अपूर्व वेद प्रचारक हुए हैं।...