दूषित विचारधारा
दूषित विचारधारा का परिणाम है। समाज से अपने को पृथक मानकर चलना परिणाम है। समाज से अपने को पृथक मानकर चलना अथवा अपने व्यक्तिगत कर्मों का फल व्यक्तिगत बुद्धिहीनता के सिवाय और कुछ नहीं है। मनुष्य जो कुछ सोचता अथवा करता है, उसका संबंध किन्हीं दूसरों से अवश्य रहता है। यह बात भिन्न है और कि वह संबंध निकट का हो अथवा दूर का, प्रत्यक्ष हो अथवा परोक्ष। समाज से अपने को अथवा अपने से समाज को पृथक मानकर चलना दूषित विचारधारा का प्रमाण हैं।
It is the result of corrupt ideology. Keeping oneself separate from the society is the result. Keeping oneself separate from the society or the result of one's personal actions is nothing but personal intellect. Whatever a person thinks or does, it must be related to some others. It is a different matter and whether that relation is close or distant, direct or indirect. Considering oneself or society as separate from oneself is the proof of corrupt ideology.
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वेद प्रचारक स्वामी दयानन्द महर्षि स्वामी दयानन्द ने वेद प्रचार के लिए ही मुख्यतः सर्वाधिक प्रयत्न किये। उनके मौखिक प्रचार के अतिरिक्त वेदों का भाष्य, सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका एवं संस्कारविधि आदि विभिन्न ग्रन्थ वेद प्रचार के ही अंग-प्रत्यंग हैं। वह महाभारत काल के बाद के अपूर्व वेद प्रचारक हुए हैं।...