भगवान पर भरोसा तो करके देखो। फिर आगे भगवान कहते हैं - अर्जुन ! सुनों ! मेरा पूजन, मेरी भक्ति, मेरी सेवा बहुत ही सहज एवं सरल है। जो भी भक्त कोई पत्ता, कोई फूल, कोई फल, यहाँ तक कि केवल जल की कुछ बूँदें मुझे श्रद्धा एवं प्रेमपूर्वक अर्पण करता है, उसे मैं प्रकट होकर बड़ी प्रीतिपूर्वक ग्रहण करता हूँ। मेरे प्यारे भक्त के ऐसे भोग को मैं झपटकर खाता हूँ। इतना सीधा और सरल उपाय भगवान ने अपनी भक्ति का बताया है। इसे निर्धन से निर्धन व्यक्ति भी कर सकता है।
Try trusting God. Then further God says - Arjun! Listen! My worship, my devotion, my service is very simple and easy. Any devotee who offers Me a leaf, a flower, a fruit, even just a few drops of water with devotion and love, I appear and receive it with great love. I snatch and eat such bhog of my dear devotee. God has told such a simple and easy way of his devotion. Even the poorest of the poor can do it.
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समस्त विद्याएं भारत से संसार में फैले विभिन्न मतमतान्तरों का स्त्रोत भारत देश ही रहा है। संस्कृत की महिमा में महर्षि दयानन्द ने दाराशिकोह का एक उदाहरण दिया है। दाराशिकोह लिखता है कि मैंने अरबी आदि बहुत सी भाषाएं पढी, परन्तु मेरे मन का सन्देह छूटकर आनन्द नहीं हुआ। जब संस्कृत देखा और सुना तब...
स्वामी दयानन्द द्वारा वेद प्रचार स्वामी दयानन्द सत्य की खोज में अपनी आयु के बाईसवें वर्ष में घर से निकले पड़े थे। पूरे देश का भ्रमण करते हुए मिलने वाले सभी गुरुओं की संगति व सेवा करके अपनी अपूर्व बौद्धिक क्षमताओं से उन्होंने अपूर्व ज्ञान प्राप्त किया था। वह सिद्ध योगी बने और उन्होंने संस्कृत भाषा की आर्ष व्याकरण पद्धति,...
निर्णय लेने की प्रक्रिया में समय की अत्यन्त महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। जो निर्णय समय रहते ले लिए जाते हैं और आचरण में लाए जाते हैं, वे अपना आश्चर्यजनक परिणाम दिखाते हैं। जबकि समय सीमा के बाहर एक सेकण्ड का विलम्ब भी भयंकर हानि पहुँचाने का कार्य कर सकता है। इसलिए फैसले लेने के लिए सही समय पर...