Call Now : 9302101186, 8120018052 | MAP
     
विशेष सूचना - Arya Samaj, Arya Samaj Mandir तथा Arya Samaj Marriage और इससे मिलते-जुलते नामों से Internet पर अनेक फर्जी वेबसाईट एवं गुमराह करने वाले आकर्षक विज्ञापन प्रसारित हो रहे हैं। अत: जनहित में सूचना दी जाती है कि इनसे आर्यसमाज विधि से विवाह संस्कार व्यवस्था अथवा अन्य किसी भी प्रकार का व्यवहार करते समय यह पूरी तरह सुनिश्चित कर लें कि इनके द्वारा किया जा रहा कार्य पूरी तरह वैधानिक है अथवा नहीं। "Arya Samaj Online" अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट द्वारा संचालित है। भारतीय पब्लिक ट्रस्ट एक्ट (Indian Public Trust Act) के अन्तर्गत पंजीकृत अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट एक शैक्षणिक-सामाजिक-धार्मिक-पारमार्थिक ट्रस्ट है। Kindly ensure that you are solemnising your marriage with a registered organisation and do not get mislead by large Buildings or Hall. For More information contact us at - 09302101186
arya samaj marriage indore india legal
all india arya samaj marriage place

आर्य समाज एक प्रकाश पुंज

मनुष्य अपने विचारों के कारण समुदायों में बंटा है। ये समुदाय सैंकड़ों की संख्या में हैं और विश्व भर में फैले हुए हैं। इनमें मुख्य हैं- हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन, आर्य समाज आदि। किन्तु वास्तव में आर्य समाज ही धर्म है और शेष सब सम्प्रदाय हैं। इस विवेक के निम्नलिखित आधार है-

1. ईश्वर का स्वरूप - धर्म का प्रथम तत्व है, ईश्वर के यथार्थ स्वरूप का ज्ञान होना। आर्य समाज और सम्प्रदायों के मध्य सबसे प्रमुख भेद ईश्वर के स्वरूप के विषय में ही है। हिन्दू लोग ईश्वर को निराकार भी मानते हैं और साकार भी, सर्वव्यापक  भी मानते हैं और एकदेशी भी, सर्वशक्तिमान भी मानते हैं और अवतार लेने वाला भी। ईश्वर एक है ऐसा भी मानते हैंतथा ईश्वर की शक्ति वाले अनेक देवता हैं, ऐसा भी मानते है। इस प्रकार पौराणिक हिन्दू की ईश्वर के विषय में कोई निश्चित धारणा नहीं है। इस्लाम यह मानता है कि ईश्वर एक है, जो निराकार है, सर्वशक्तिमान है और अवतार नहीं लेता। मुस्लिम भाई ईश्वर को सर्वव्यापक भी मानते हैं और सातवें आसमान पर रहने वाला भी। सिख भाई ईश्वर पर विश्वास करते हैं, किन्तु उनके विचार भी मिश्रित हैं। ईसाई भाई ईश्वर को निराकार, सर्वशक्तिमान और दयालु तो मानते हैं, किन्तु यह भी मानते हैं कि वह चौथे आसमान पर रहता है और अवतार ले सकता है। जैन और बौद्ध लोग ईश्वर के आस्तित्व में विश्वास नहीं करते। आर्य समाज के अनुसार ईश्वर सच्चिदानन्द स्वरूप निराकार, सर्वशक्तिमान, न्यायकारी, दयालु, अजन्मा, अनन्त, निर्विकार, अनादि, अनुपम, सर्वाधार, सर्वेश्वर, सर्वव्यापक, सर्वान्तर्यामी, अजर, अमर, अभय, नित्य, पवित्र और सृष्टिकर्ता है। ईश्वर का यही स्वरूप यथार्थ है।

Ved Katha Pravachan - 3 (Explanation of Vedas & Dharma) वेद कथा - प्रवचन एवं व्याख्यान Ved Gyan Katha
Divya Pravachan & Vedas explained (Introduction to the Vedas, Explanation of Vedas & Vaidik
Mantras in Hindi) by Acharya Dr. Sanjay Dev
कृपया Subscribe अवश्य करें, ताकि आपको नये वीडियो प्राप्त होते रहें।


2. जीवात्मा का स्वरूप- हिन्दू भाई जीवात्मा को परमात्मा का अंश मानते हैं। मुस्लिम इसे ईश्वर द्वारा निर्मित तथा ईसाई भी ईश्वर द्वारा निर्मित मानते हैं। जैन लोग जीवात्मा को नित्य मानते हैं। बौद्ध लोग जीवात्मा जैसी किसी चेतना सत्ता में विश्वास नहीं करते हैं।

आर्य समाज के अनुसार जीवात्मा अनादि है। यह न ईश्वर द्वारा निर्मित है और न ही इसका अंश। यह मोक्ष में रहने के पश्चात पुन: जन्म-मरण के चक्र में लौटता हैजिससे संसार के प्रवाह में निरन्तरता बनी रहती है। जीवात्मा का यथार्थ स्वरूप यही है।

3. प्रकृति का स्वरूप- हिन्दू मत के अनुसार प्रकृति अर्थात माया ईश्वर से ही उद्‌भूत है। इस्लाम के अनुसार प्रकृति ईश्वर के स्वरूप से उत्पन्न हुई है। ईसाई मत के अनुसार प्रकृति ईश्वर द्वारा शून्य से उत्पन्न हुई है। जैन मत के अनुसार प्रकृति का कोई निर्माता नहीं है। यह चारों तत्वों यथा पृथिवीजलअग्नि और वायु से बनी हैं। इसका न आदि है और न अन्त। बौद्ध मत के अनुसार ये चार तत्व वास्तविक हैंकिन्तु संसार क्षणिक है। आप जिस जल में स्नान कर रहे हैंवह बहकर आगे चला गया। जिस जल को आप पुन: देख रहे हैंवह दूसरा जल है। आर्यसमाज  के अनुसार अव्यक्त प्रकृति अर्थात पृथिवीजलअग्निवायुआकाश की परमाणु रूपा प्रकृति अनादि और अनन्त है। वे परमाणु न कभी उत्पन्न होते हैंन कभी नष्ट होते हैं  और न ही इनकी संख्या बदलती है। केवल इनका संयोग और विभाग होता है। इसी अव्यक्त प्रकृति को ईश्वर द्वारा दृश्यमान जगत का रूप दिया जाता है। यही प्रकृति का सत्‌ स्वरूप है।

4. सृष्टि-रचना का काल- सृष्टि रचना के वास्तविक काल का किसी भी सम्प्रदाय को ज्ञान नहीं है। ये अपने अनुमान के अनुसार 5 हजार वा 8 हजार वर्ष अथवा  ऐसी ही किसी काल्पनिक अवधि का बखान करते है। आर्यसमाज के अनुसार सृष्टि की रचना को एक अरब छियान्वे करोड़ वर्ष हो गये हैं। यही अवधि पुरातत्व विज्ञान द्वारा अनुमोदित है। दूसरे शब्दों मेंयही वास्तविक है।

5. पृथक पुस्तक- प्रत्येक सम्प्रदाय की एक पृथक पुस्तक है। जैसे इस्लाम की कुरानईसाई मत की बाइबिलसिखों की गुरु ग्रन्थ साहब। जैन और बौद्ध मतों की पृथक्‌ पृथक्‌ पुस्तकें हैंजो अनेक हैं। हिन्दू भाई वेदोंपुराणोंउपनिषदों और गीता आदि में आस्था रखते हैं। आर्य समाज वेद को मानता है। इसकी आस्था षड्‌दर्शन और उन उपनिषदों में भी है जो वेद के अनुरूप हैं। किन्तु धर्म ग्रन्थ वेद ही हैं। सत्यार्थ प्रकाश का पठन-पाठन और सम्मान आर्य समाज में अवश्य हैकिन्तु इसकी मान्यता धर्म-ग्रन्थ के रूप में नहीं है।

6. पृथक्‌ मार्ग दर्शक- हिन्दू भाई तो बहुदेववाद और अवतारवाद में आस्था रखते हैं और ब्रह्माविष्णुमहेशरामकृष्णहनुमान आदि को इसी भाव से पूजते हैं। मुसलमान भाई हजरत मुहम्मद कोसिख गुरु नानक कोईसाई ईसा मसीह कोजैन महावीर को और बौद्ध गौतम बुद्ध को विशेष आस्था से देखते हैं। आर्य समाज अग्निवायुआदित्यअंगिराब्रह्मामनुवाल्मीकिव्यासकपिलकणादगौतमपतञ्जलिजैमिनियास्कपाणिनिदयानन्द आदि ऋषियों तथा रामकृष्णहनुमान आदि देवों को मनुष्यपथप्रदर्शक और योगी मानता है। महर्षि दयानन्द अथवा किसी अन्य को एकमात्र मार्गदर्शक के रूप में नहीं मानता। मानव धर्म के लिए ऐसा ही विश्वास उचित है।

7. कर्म-फल सिद्धान्त- हिन्दू मत कर्म फल में भी विश्वास रखता और ईश्वर की असीम कृपा-अकृपा में भी। इस्लाम का मत है कि ईश्वर चाहे जैसा फल दे। ईसाई लोग ईसा की साक्षी को आवश्यक मानते हैं। बौद्ध और जैन मत कर्म-फल में विश्वास रखते हैंकिन्तु इसमें ईश्वर को आवश्यक नहीं मानते। आर्य समाज के अनुसार कर्म का यथावत फल मिलता हैकिन्तु ईश्वर द्वारा मिलता है। जीवात्मा कर्म करने में स्वतन्त्रकिन्तु भोगने में परतन्त्र है। यदि विचार किया जाएतो यही मत विवेकपूर्ण है।

8. मोक्ष का स्वरूप- हिन्दू लोग मोक्ष में जीवात्मा का परमात्मा में लय होना मानते हैं और प्रत्यावर्तन को नहीं मानते। मुस्लिम लोग मोक्ष में नहीं अपितु बहिश्त और दोजख अर्थात स्वर्ग और नरक में विश्वास करते हैं। ईसाई लोग मोक्ष को मानते हैंकिन्तु ईसा मसीह की साक्षी आवश्यक मानते हैं। जैन लोग मानते हैंकि जीव अनन्त काल तक शुद्ध चैतन्य स्वरूप में रहता है। बौद्ध लोग मानते हैं कि मृत्यु के पश्चात कुछ शेष नहीं रहता। आर्यसमाज के अनुसार जीवात्मा मोक्ष को प्राप्त करता हैपरान्त काल (जितने काल में 3600 बार सृष्टि और प्रलय होती है) के पश्चात उसका प्रत्यावर्तन होता है। क्योंकि जीवात्मा अपने सीमित कार्यों का असीम फल प्राप्त नहीं कर सकता।

9. मानव की समानता- हिन्दू लोग ब्राह्मण की श्रेष्ठता तथा अन्य सम्प्रदाय अपने-अपने को श्रेष्ठ तथा अन्य सम्प्रदायों को हीन मानते हैं। कुछ सम्प्रदाय तो अन्य मत वाले लोगों को जीने का ही अधिकारी नहीं मानते। केवल आर्य समाज ऐसा है जो मनुष्य-मनुष्य में गुण-कर्म-स्वभाव के आधार पर भले-बुरे का निर्धारण करता है और मानव मात्र की समानता का हामी है।

10. जन्मगत आधार- हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई-जैन-बौद्ध आदि का जन्मगत आधार है। उदाहरणार्थ मुसलमान का पुत्र मुसलमान होता हैबिना यह विचारे कि इसे कुरान का ज्ञान एवं हजरत मुहम्मद पर आस्था है अथवा नहीं। अन्य समस्त सम्प्रदाय भी जन्मगत परम्परा पर ही आधारित हैं। केवल आर्य समाज सब मनुष्यों को जन्म से समान और गुण-कर्म स्वभाव से अच्छा-बुरा मानता है।

इस प्रकार अन्य समस्त समुदाय केवल सम्प्रदाय हैं। केवल आर्य समाज ही धर्म है जो वैदिक धर्म का वास्तविक रूप है। प्रत्येक मनुष्य प्रेम का अधिकारी हैकिन्तु विश्वास का अधिकारी है केवल सत्य एवं धर्म। अत: हम सत्य को ग्रहण करेंअसत्य को छोड़ें और धर्म को ही मानें एवं अपने जीवन का आधार बनायें। लेखक- रूपचन्द "दीपक"

Contact for more info. -

राष्ट्रीय प्रशासनिक मुख्यालय
अखिल भारत आर्य समाज ट्रस्ट
आर्य समाज मन्दिर अन्नपूर्णा इन्दौर
नरेन्द्र तिवारी मार्ग, बैंक ऑफ़ इण्डिया के पास
दशहरा मैदान के सामने
अन्नपूर्णा, इंदौर (मध्य प्रदेश) 452009
दूरभाष : 0731-2489383, 9302101186
www.allindiaaryasamaj.com 

--------------------------------------

National Administrative Office
Akhil Bharat Arya Samaj Trust
Arya Samaj Mandir Annapurna
Narendra Tiwari Marg
Near Bank of India
Opp. Dussehra Maidan
Annapurna, 
Indore (M.P.) 452009
Tel. : 0731-2489383, 9302101186
www.aryasamajindore.com

Time of creation - no community has knowledge of the actual time of creation. According to their estimates, they tell about 5 thousand or 8 thousand years or any such imaginary period. According to Aryasamaj, the creation of the world has been one billion nineteen million years. This period is approved by Archaeological Sciences. In other words, this is real.

Arya Samaj a Light Beam | Arya Samaj Online Indore | Arya Samaj Indore | Arya Samaj Mandir Indore | Arya Samaj Marriage Indore | Arya Samaj Mandir Marriage Indore | Arya Samaj Annapurna Indore | Arya samaj | Definition and Nature of God - Paramatma | the nature of the Soul - Jivatma | contributions of Maharishi Swami Dayanand and Arya Samaj to Hindu society | Arya Samaj Mandir New Delhi | Arya Samaj Marriage in New Delhi | Arya Samaj Mandir in Mumbai | Arya Samaj Mandir Bhopal | आर्य समाज एक प्रकाश पुंज | Arya Samaj Mandir Ujjain | Arya Samaj Mandir Jabalpur Madhya Pradesh | Marriage Registration in Jabalpur | Arya Samaj Mandir Bilaspur | Arya Samaj Mandir Raipur Chhattisgarh | Arya Samaj Marriage in Mumbai Maharashtra | Arya Samaj in India | Arya Samaj Marriage in Ujjain | Maharshi Dayanand Saraswati | Vedas | Vastu correction without demolition | Vastu Shanti Yagya | Griha Pravesh Yagya | Gayatri Havan | Mantra Jaap.

Arya Samaj Mandir Indore Madhya Pradesh | Query for marriage in Arya Samaj Mandir Indore | Plan for marriage in Arya Samaj Mandir Indore | Arya Samaj Sanskar Kendra Indore | pre-marriage consultancy | Legal way of Arya Samaj Marriage in Indore | Legal Marriage services in Arya Samaj Mandir Indore | traditional Vedic rituals in Arya Samaj Mandir Indore | Arya Samaj Mandir Wedding | Marriage in Arya Samaj Mandir | Arya Samaj Pandits in Indore | Traditional Activities in Arya Samaj Mandir Indore | Arya Samaj Traditions | Arya Samaj Marriage act 1937.

Arya Samaj and Vedas | Arya Samaj in India | Arya Samaj and Hindi | Vaastu Correction Without Demolition | Arya Samaj Mandir Marriage Indore Madhya Pradesh | Arya Samaj helpline Indore Madhya Pradesh Bharat | Arya Samaj Mandir in Madhya Pradesh | Arya Samaj Online | Arya Samaj Marriage Guidelines | Procedure Of Arya Samaj Marriage | Arya Samaj Marriage helpline Indore | Hindi Vishwa | Intercast Marriage in Arya Samaj Mandir Indore.

Indore Aarya Samaj Mandir | Indore Arya Samaj Mandir address | Hindu Matrimony in Indore | Arya Samaj Intercast Marriage | Intercast Matrimony in Indore | Arya Samaj Wedding in Indore | Hindu Marriage in Indore | Arya Samaj Temple in Indore | Marriage in Indore | Arya Samaj Marriage Rules in Indore | Hindu Matrimony in Indore | Arya Samaj Marriage Ruels in Hindi | Ved Puran Gyan | Arya Samaj Details in Hindi | Ved Gyan DVD | Vedic Magazine in Hindi | Aryasamaj Indore MP | address and no. of Aarya Samaj Mandir in Indore | Aarya Samaj Satsang | Arya Samaj | Arya Samaj Mandir | Documents required for Arya Samaj marriage in Indore | Legal Arya Samaj Mandir Marriage procedure in Indore | Aryasamaj Helpline Indore Madhya Pradesh India | Official website of Arya Samaj Indore | Arya Samaj Bank Colony Indore Madhya Pradesh India | महर्षि दयानन्द सरस्वती | आर्य समाज मंदिर इंदौर मध्य प्रदेश भारत | वेद | वैदिक संस्कृति | धर्म | दर्शन | आर्य समाज मन्दिर इन्दौर | आर्य समाज विवाह इन्दौर

  • स्वामी दयानन्द द्वारा वेद प्रचार

    स्वामी दयानन्द द्वारा वेद प्रचार स्वामी दयानन्द सत्य की खोज में अपनी आयु के बाईसवें वर्ष में घर से निकले पड़े थे। पूरे देश का भ्रमण करते हुए मिलने वाले सभी गुरुओं की संगति व सेवा करके अपनी अपूर्व बौद्धिक क्षमताओं से उन्होंने अपूर्व ज्ञान प्राप्त किया था। वह सिद्ध योगी बने और उन्होंने संस्कृत भाषा की आर्ष व्याकरण पद्धति,...

    Read More ...

  • सफलता का मूलमन्त्र

    निर्णय लेने की प्रक्रिया में समय की अत्यन्त महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। जो निर्णय समय रहते ले लिए जाते हैं और आचरण में लाए जाते हैं, वे अपना आश्‍चर्यजनक परिणाम दिखाते हैं। जबकि समय सीमा के बाहर एक सेकण्ड का विलम्ब भी भयंकर हानि पहुँचाने का कार्य कर सकता है। इसलिए फैसले लेने के लिए सही समय पर...

    Read More ...

pandit requirement
Copyright @ 2022. All Rights Reserved. aryasamajonline.co.in