सेवा का आधार
सेवा का आधार जितना स्वार्थ-मुक्त होगा, वास्तव में दूसरों के परमार्थ का, त्याग होगा; उतना ही बड़ा परिणाम भी मनुष्य को प्राप्त होगा। किंतु सेवा ढोंग बना देने पर परमार्थ नहीं, दूसरों के साथ धोखादेही, छल-कपट, चालाकी और स्वार्थ-साधना मात्र बनकर रह जाती है। बाहर से ऐसी सेवा का आडंबर कितना ही बड़ा क्यों न हो! कर्त्ता को उसका रत्ती भर भी वास्तविक सत्परिणाम नहीं मिल सकता। लोगों से प्रशंसा प्राप्त करने या कुछ कमाई कर लेने मात्र तक ही ऐसे सेवा-आडंबरों का लाभ सीमित रह जाता है।
As much as the basis of service will be free from selfishness, in reality there will be renunciation of the charity of others; The same great result will also be received by man. But by pretending to be service, it is not charity, but deceit, deceit, cunning and selfishness with others remains only. No matter how big the pomp of such service from outside! The doer cannot get even the slightest of his real results. The benefit of such ostentatious service is limited to just getting praise from people or earning some money.
Service Base | Arya Samaj Kota, 8120018052 | Inter Caste Marriage Helpline Kota | Marriage Service in Arya Samaj Mandir Kota | Arya Samaj Intercaste Marriage Kota | Arya Samaj Marriage Pandits Kota | Arya Samaj Vivah Pooja Kota | Inter Caste Marriage helpline Conductor Kota | Official Web Portal of Arya Samaj Kota | Arya Samaj Intercaste Matrimony Kota | Arya Samaj Marriage Procedure Kota | Arya Samaj Vivah Poojan Vidhi Kota | Inter Caste Marriage Promotion Kota | Official Website of Arya Samaj Kota | Arya Samaj Legal Marriage Service Kota | Arya Samaj Marriage Registration Kota | Arya Samaj Vivah Vidhi Kota | Inter Caste Marriage Promotion for Prevent of Untouchability Kota | Pandits for Marriage Kota | Arya Samaj Legal Wedding Kota | Arya Samaj Marriage Rituals Kota Rajasthan
वेद प्रचारक स्वामी दयानन्द महर्षि स्वामी दयानन्द ने वेद प्रचार के लिए ही मुख्यतः सर्वाधिक प्रयत्न किये। उनके मौखिक प्रचार के अतिरिक्त वेदों का भाष्य, सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका एवं संस्कारविधि आदि विभिन्न ग्रन्थ वेद प्रचार के ही अंग-प्रत्यंग हैं। वह महाभारत काल के बाद के अपूर्व वेद प्रचारक हुए हैं।...