मोहरूपी छाया
मनुष्य को मोहरूपी छाया को छोड़ना तथा प्रेम की जीवंत काया को पकड़ना होगा। आत्मीयता के विस्तार के लिए सतत प्रयत्नशील रहने से योगीजन के समान दुर्लभ स्थिति सहजता से प्राप्त हो सकेगी। प्रत्येक मनुष्य को दो प्रकार की शिक्षाएँ मिलती हैं। एक वह जो वह दूसरों से ग्रहण करता है और दूसरी वह जो वह स्वयं अपने को देता है और निश्चय ही दूसरी शिक्षा अधिक महत्वपूर्ण है।
One has to leave the shadow of attachment and seize the living body of love. By making constant efforts for the expansion of intimacy, a rare condition like a yogi will be easily attained. Every human being receives two types of teachings. One is what he receives from others and the other is what he gives to himself, and of course the second is more important.
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वेद प्रचारक स्वामी दयानन्द महर्षि स्वामी दयानन्द ने वेद प्रचार के लिए ही मुख्यतः सर्वाधिक प्रयत्न किये। उनके मौखिक प्रचार के अतिरिक्त वेदों का भाष्य, सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका एवं संस्कारविधि आदि विभिन्न ग्रन्थ वेद प्रचार के ही अंग-प्रत्यंग हैं। वह महाभारत काल के बाद के अपूर्व वेद प्रचारक हुए हैं।...