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विशेष सूचना - Arya Samaj, Arya Samaj Mandir तथा Arya Samaj Marriage और इससे मिलते-जुलते नामों से Internet पर अनेक फर्जी वेबसाईट एवं गुमराह करने वाले आकर्षक विज्ञापन प्रसारित हो रहे हैं। अत: जनहित में सूचना दी जाती है कि इनसे आर्यसमाज विधि से विवाह संस्कार व्यवस्था अथवा अन्य किसी भी प्रकार का व्यवहार करते समय यह पूरी तरह सुनिश्चित कर लें कि इनके द्वारा किया जा रहा कार्य पूरी तरह वैधानिक है अथवा नहीं। "आर्यसमाज विवाह सेवा कोटा" अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट द्वारा संचालित कोटा में एकमात्र Marriage Helpline है। भारतीय पब्लिक ट्रस्ट एक्ट (Indian Public Trust Act) के अन्तर्गत पंजीकृत अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट एक शैक्षणिक-सामाजिक-धार्मिक-पारमार्थिक ट्रस्ट है। Arya Samaj Marriage Helpline Kota is run under aegis of Akhil Bharat Arya Samaj Trust. Akhil Bharat Arya Samaj Trust is an Eduactional, Social, Religious and Charitable Trust Registered under Indian Public Trust Act. Arya Samaj Marriage Helpline Kota is the only Helpline controlled by Akhil Bharat Arya Samaj Trust in Kota. We do not have any other branch or Centre in Kota. Kindly ensure that you are solemnising your marriage with a registered organisation and do not get mislead by large Buildings or Hall.
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आदि शंकराचार्य का आदर

जगद्गुरु आदि शंकराचार्य के समय के राजा सुधन्वा से प्रारम्भ वैदिक मत और देशोन्नति के कार्यों को महर्षि दयानन्द लेखक ने अत्यधिक आदर से याद किया है। शंकराचार्य के तीन सौ वर्ष पश्‍चात उज्जैन नगरी में विक्रमादित्य को प्रतापी राजा लिखते हुए भर्तृहरि राजा के वैराग्य प्राप्ति की चर्चा की है। कालान्तर में राजा भोज हुए, जिनके शासन में व्याकरण और काव्य की बहुत उन्नति हुई। महान कवि कालिदास इसी समय की देन थे। राजा भोज के समय की शिल्पकला महर्षि दयानन्द को इतनी पसन्द है कि शिल्पी लोगों ने घोड़े के आकार का एक यंत्रचालित यान बनाया था जो एक घण्टे में साढे सत्ताईस कोस जाता था। अब आप स्वयं हिसाब लगा लें कि साढे सत्ताईस कोस में कितने किलोमीटर बनते हैं। वह यान भूमि और अंतरिक्ष में चलता था। दूसरा एक ऐसा पंखा बनाया था कि बिना मनुष्य के स्वचालित कलायन्त्र के बल से ऑटोमैटिक चला करता और पुष्कल वायु देता था। आर्यावर्त देश की तकनीकी उन्नति के ये कुछ नमूने हैं।

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  • आदि शंकराचार्य का आदर

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  • वेद प्रचारक स्वामी दयानन्द

    वेद प्रचारक स्वामी दयानन्द महर्षि स्वामी दयानन्द ने वेद प्रचार के लिए ही मुख्यतः सर्वाधिक प्रयत्न किये। उनके मौखिक प्रचार के अतिरिक्त वेदों का भाष्य, सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका एवं संस्कारविधि आदि विभिन्न ग्रन्थ वेद प्रचार के ही अंग-प्रत्यंग हैं। वह महाभारत काल के बाद के अपूर्व वेद प्रचारक हुए हैं।...

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