परमात्मा
मैंने इतना धन कमाया, इतनी संपत्ति एकत्र की, इतना दान किया, इतनी तपस्या की, दुनिया वालों की इतनी प्रताड़ना सही। रात-दिन मेहनत की, संघर्ष किए आदि-आदि न जाने कितनी तरह की बातें मनुष्य करता है। अपने अहंकार का प्रदर्शन करता है। उपलब्धियों को गिनाता है। जबकि वास्तविकता यह है कि मनुष्य एक यंत्र मात्र है, करने-कराने वाला तो परमात्मा ही है। तो भगवान कहते हैं कि जब सब मैं ही करवा रहा हूँ तो पुण्य-पाप, भले-बुरे की गठरी तू अपने सिर पर क्यों उठा रहा है। सब कुछ मेरे ही अर्पण करता चला तो तू सब प्रकार से मुक्त रहेगा और यह मेरी भक्ति भी हो जायगी।
I earned so much money, collected so much wealth, donated so much, did so much austerity, so much torture by the people of the world is right. Worked hard day and night, struggled etc. Don't know how many kinds of things a man talks about. Shows his arrogance. Achievements count. While the reality is that man is just a machine, the doer is the divine. So God says that when I am getting everything done, then why are you carrying the bundle of virtue-sin, good-bad on your head. If you keep surrendering everything to me, then you will be free from all kinds and this will also become my devotion.
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वेद प्रचारक स्वामी दयानन्द महर्षि स्वामी दयानन्द ने वेद प्रचार के लिए ही मुख्यतः सर्वाधिक प्रयत्न किये। उनके मौखिक प्रचार के अतिरिक्त वेदों का भाष्य, सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका एवं संस्कारविधि आदि विभिन्न ग्रन्थ वेद प्रचार के ही अंग-प्रत्यंग हैं। वह महाभारत काल के बाद के अपूर्व वेद प्रचारक हुए हैं।...