षड्यंत्र
कई व्यक्ति एक पैर पर खड़े रहने, एक हाथ ऊँचा रखने, जमीन पर न सोने-बैठने आदि की प्रतिज्ञाएँ कर लेते हैं और उन्हें बहुमूल्य जीवन शक्तियों का समापन करते हुए निभाते हैं। कुछ लोग कष्टसाध्य मौनधारण करते हैं एवं कभी स्लेट-पैन्सिल पर अपनी इच्छाएँ व्यक्त कर वार्तालाप का क्रम चलाते हैं। ऐसे व्रतधारण को अनावश्यक ही नहीं अहितकर परंपरा उत्पन्न करने वाला और दूसरे के सम्मुख अपना बड़प्पन सिद्ध करके यश लूटने का षड्यंत्र भी माना जा सकता है। सादगी अपने आप में एक व्रत है, जिसके साथ उच्च विचारों का अविच्छित संबंध जुड़ा हुआ है।
Many people take vows of standing on one leg, keeping one hand high, not sleeping or sitting on the ground, etc. and fulfill them by exhausting valuable life forces. Some people keep painful silence and sometimes run the sequence of conversation by expressing their wishes on slate-pencil. Such fasting is not only unnecessary, it can also be considered as creating harmful tradition and a conspiracy to loot fame by proving one's greatness in front of others. Simplicity is a vow in itself, with which high thoughts are inextricably linked.
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वेद प्रचारक स्वामी दयानन्द महर्षि स्वामी दयानन्द ने वेद प्रचार के लिए ही मुख्यतः सर्वाधिक प्रयत्न किये। उनके मौखिक प्रचार के अतिरिक्त वेदों का भाष्य, सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका एवं संस्कारविधि आदि विभिन्न ग्रन्थ वेद प्रचार के ही अंग-प्रत्यंग हैं। वह महाभारत काल के बाद के अपूर्व वेद प्रचारक हुए हैं।...