आचरणहीन
आचरणहीन व्यक्ति समाज में उन्नति नहीं कर सकते। भले ही कुछ देर के लिए संपत्ति खड़ी कर लें, सहयोगियों की एक लंबी जमात बना लें, किंतु भीतर से सदैव खोखले रहेंगे। मनोबल हमेशा गिरा रहेगा, आनंद, प्रफुलता, निर्भयता, आत्मनिर्भयता और संतोष के लिए हमेशा तरसते रहेंगे। कुछ देर के लिए प्रतिष्ठा भी भले मिल जाए, किंतु परदाफास भी देर या सबेर होगा ही, सबसे पहले तो अपनी भीतर की अंतरात्मा ही परेशान किए रहेगी।
Conductless person cannot progress in the society. Even if you build wealth for a while, make a long group of allies, but will always remain hollow from within. Morale will always be low, will always yearn for joy, cheerfulness, fearlessness, self-fearlessness and contentment. Even if you get prestige for some time, but the cover will also happen sooner or later, first of all your inner conscience will be disturbed.
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वेद प्रचारक स्वामी दयानन्द महर्षि स्वामी दयानन्द ने वेद प्रचार के लिए ही मुख्यतः सर्वाधिक प्रयत्न किये। उनके मौखिक प्रचार के अतिरिक्त वेदों का भाष्य, सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका एवं संस्कारविधि आदि विभिन्न ग्रन्थ वेद प्रचार के ही अंग-प्रत्यंग हैं। वह महाभारत काल के बाद के अपूर्व वेद प्रचारक हुए हैं।...