बालकों का निर्माण
मनोवैज्ञानिकों अनेक परीक्षणों के आधार पर यह सिद्ध कर दिया है कि बालक के व्यक्तित्व निर्माण की आधारशिला उसके जीवन के प्रथम पाँच वर्ष होते हैं। इस समय जो भी संसार उसके मानसपटल पर बन जाते हैं; उन्हीं का भविष्य में विकास होता है। अतएव प्रारंभिक वर्ष माता-पिता की, अभिभावकों की कसौटी स्वरूप ही होते हैं। परिवार का जैसा वातावरण वे बनाए रखेंगे, शिक्षा-दीक्षा बच्चे को देंगे, वही भविष्य में उभरकर सामने आएगी।
Psychologists have proved on the basis of many tests that the first five years of his life are the cornerstone of the personality formation of the child. Whatever worlds become on his mind at this time; They grow in the future. Therefore, the formative years are the criterion of the parents, of the parents. The kind of family environment they will maintain, give education and initiation to the child, the same will emerge in the future.
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वेद प्रचारक स्वामी दयानन्द महर्षि स्वामी दयानन्द ने वेद प्रचार के लिए ही मुख्यतः सर्वाधिक प्रयत्न किये। उनके मौखिक प्रचार के अतिरिक्त वेदों का भाष्य, सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका एवं संस्कारविधि आदि विभिन्न ग्रन्थ वेद प्रचार के ही अंग-प्रत्यंग हैं। वह महाभारत काल के बाद के अपूर्व वेद प्रचारक हुए हैं।...