मस्तिष्क मन का एक जटिल यंत्र है। यह मन से प्रभावित एवं संयमी होगा, मस्तिष्क भी उतना ही विकसित होगा। इस यंत्र की सार्थकता तभी है जब मन शांत हो, अन्यथा जीवन समस्या का भंडार बन जाता है। इस संदर्भ में प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक क्लैक्सटन की मान्यता है कि बाहर से आसान एवं सरल दिखाई देने वाला मनुष्य अंदर से बड़ा ही जटिल होता है। इसकी समस्याएँ बड़ी गहरी एवं उलझी हुई होती हैं। उनके अनुसार इन समस्याओं का समाधान मस्तिष्क रूपी संरचना में खोजना बालू में तेल निकालने जैसा है।
The brain is a complex instrument of the mind. It will be influenced and restrained by the mind, the brain will also be equally developed. The significance of this yantra is only when the mind is calm, otherwise life becomes a storehouse of problems. In this context, the famous psychologist Claxton believes that a person who looks easy and simple from outside is very complex from inside. Its problems are very deep and complicated. According to him, finding the solution to these problems in the structure of the brain is like extracting oil from the sand.
Instrumentality | Arya Samaj Online 9302101186 | Arya Samaj Mandir Marriage | Inter Caste Marriage Promotion for Prevent of Untouchability | Arya Samaj Vivah Vidhi | Procedure of Arya Samaj Marriage | Arya Samaj Mandir Helpline | Arya Samaj Wedding Rituals | Legal Marriage Helpline | Procedure of Arya Samaj Wedding | Pandits for Marriage | Arya Samaj Legal Wedding | Arya Samaj Marriage Rituals | Arya Samaj Wedding | Legal Marriage | Pandits for Pooja | Arya Samaj Mandir | Arya Samaj Marriage Rules | Arya Samaj Wedding Ceremony | Legal Marriage Help
समस्त विद्याएं भारत से संसार में फैले विभिन्न मतमतान्तरों का स्त्रोत भारत देश ही रहा है। संस्कृत की महिमा में महर्षि दयानन्द ने दाराशिकोह का एक उदाहरण दिया है। दाराशिकोह लिखता है कि मैंने अरबी आदि बहुत सी भाषाएं पढी, परन्तु मेरे मन का सन्देह छूटकर आनन्द नहीं हुआ। जब संस्कृत देखा और सुना तब...
स्वामी दयानन्द द्वारा वेद प्रचार स्वामी दयानन्द सत्य की खोज में अपनी आयु के बाईसवें वर्ष में घर से निकले पड़े थे। पूरे देश का भ्रमण करते हुए मिलने वाले सभी गुरुओं की संगति व सेवा करके अपनी अपूर्व बौद्धिक क्षमताओं से उन्होंने अपूर्व ज्ञान प्राप्त किया था। वह सिद्ध योगी बने और उन्होंने संस्कृत भाषा की आर्ष व्याकरण पद्धति,...
निर्णय लेने की प्रक्रिया में समय की अत्यन्त महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। जो निर्णय समय रहते ले लिए जाते हैं और आचरण में लाए जाते हैं, वे अपना आश्चर्यजनक परिणाम दिखाते हैं। जबकि समय सीमा के बाहर एक सेकण्ड का विलम्ब भी भयंकर हानि पहुँचाने का कार्य कर सकता है। इसलिए फैसले लेने के लिए सही समय पर...