मनुष्य को चाहिए कि वह नासमझी से कभी गो-घात न कर बैठे। जैसे गाय का वध अनुचित है वैसे ही वनिरूपिणी गौ का वध भी अनुचित है। आचार्य की वाणी, ब्राम्हण की वाणी, सन्मित्रों की वाणी, अंतरात्मा की वाणी एवं मनुष्य की अपनी वाक्शक्ति वध अर्थात्त अपेक्षा करने योग्य नहीं है। इसका मानव को आदर एवं सदुपयोग करना चाहिए। जो इस वग्रूपा गौ का वध करता है, ईश्वरीय प्रेरणा की उपेक्षा करता है, वेद-वाणी की निन्दा करता है, सन्तों की वाणी का निरादर करता है, गुरु-वाणी का अपमान करता है, शास्त्रों की वाणी का उपहास करता है, मित्र की वाणी को अनसुना करता है, लिखित वाड्मंय का विनाश करता है, वह मानों गोघात ही करता है।
जैसे गाय अमृत-मय दूध प्रदान कर शरीर का पोषण करती है, वैसे ही वाणी भी ज्ञान-रूप दूध देकर आत्मा को परिपुष्ट करती है। अतः हे मनुष्य ! तू ऐसी परमोपयोगिनी दिव्य वागरूपिणी गाय का हनन मत कर, अपितु इसके अमृतमय पय का पानकर तृप्ति लाभ कर।
Arya Samaj Indore 8120018052 | Arya Samaj Marriage Registration | Arya Samaj Vivah Vidhi | Inter Caste Marriage Promotion for Prevent of Untouchability | Arya Samaj Inter Caste Marriage Indore | Arya Samaj Intercaste Matrimony | Arya Samaj Marriage Procedure | Arya Samaj Vivah Poojan Vidhi | Inter Caste Marriage Promotion Indore | Official Website of Arya Samaj | Arya Samaj Legal Marriage Service | Marriage Service in Arya Samaj Mandir | Arya Samaj Intercaste Marriage Indore | Arya Samaj Marriage Pandits | Arya Samaj Vivah Pooja | Inter Caste Marriage helpline Conductor | Official Web Portal of Arya Samaj Indore | Arya Samaj Marriage | Arya Samaj Vivah Mandap | Inter Caste Marriage Helpline
समस्त विद्याएं भारत से संसार में फैले विभिन्न मतमतान्तरों का स्त्रोत भारत देश ही रहा है। संस्कृत की महिमा में महर्षि दयानन्द ने दाराशिकोह का एक उदाहरण दिया है। दाराशिकोह लिखता है कि मैंने अरबी आदि बहुत सी भाषाएं पढी, परन्तु मेरे मन का सन्देह छूटकर आनन्द नहीं हुआ। जब संस्कृत देखा और सुना तब...
स्वामी दयानन्द द्वारा वेद प्रचार स्वामी दयानन्द सत्य की खोज में अपनी आयु के बाईसवें वर्ष में घर से निकले पड़े थे। पूरे देश का भ्रमण करते हुए मिलने वाले सभी गुरुओं की संगति व सेवा करके अपनी अपूर्व बौद्धिक क्षमताओं से उन्होंने अपूर्व ज्ञान प्राप्त किया था। वह सिद्ध योगी बने और उन्होंने संस्कृत भाषा की आर्ष व्याकरण पद्धति,...
निर्णय लेने की प्रक्रिया में समय की अत्यन्त महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। जो निर्णय समय रहते ले लिए जाते हैं और आचरण में लाए जाते हैं, वे अपना आश्चर्यजनक परिणाम दिखाते हैं। जबकि समय सीमा के बाहर एक सेकण्ड का विलम्ब भी भयंकर हानि पहुँचाने का कार्य कर सकता है। इसलिए फैसले लेने के लिए सही समय पर...