कार्य व कानून के सीधे रास्ते के बावजूद पीछे के दरवाजे से कार्य करने की अनीति का चारों ओर साम्राज्य हमारे देश में आम लोगों की कार्य संस्कृति बन गया है। अब भ्रष्टाचार का कोई विरोध भी नहीं बल्कि कहीं न कहीं भ्रष्टाचार के रूप में स्वीकार करने की मौन स्वीकृति दी जा चुकी है। चपरासी से लेकर अफसर तक, विधायिका से न्यायपालिका तक चारों ओर भ्रष्टाचार का बोलबाला है। भ्रष्टाचार, विश्वभर में भारत की पहचान बन गया।
Despite the direct path of work and law, the unethical work around the back door has become the work culture of the common people in our country. Now there is no opposition to corruption, but somewhere or other tacit approval has been given to accept it as corruption. From peon to officer, from legislature to judiciary, corruption is rampant everywhere. Corruption has become the identity of India all over the world.
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समस्त विद्याएं भारत से संसार में फैले विभिन्न मतमतान्तरों का स्त्रोत भारत देश ही रहा है। संस्कृत की महिमा में महर्षि दयानन्द ने दाराशिकोह का एक उदाहरण दिया है। दाराशिकोह लिखता है कि मैंने अरबी आदि बहुत सी भाषाएं पढी, परन्तु मेरे मन का सन्देह छूटकर आनन्द नहीं हुआ। जब संस्कृत देखा और सुना तब...
स्वामी दयानन्द द्वारा वेद प्रचार स्वामी दयानन्द सत्य की खोज में अपनी आयु के बाईसवें वर्ष में घर से निकले पड़े थे। पूरे देश का भ्रमण करते हुए मिलने वाले सभी गुरुओं की संगति व सेवा करके अपनी अपूर्व बौद्धिक क्षमताओं से उन्होंने अपूर्व ज्ञान प्राप्त किया था। वह सिद्ध योगी बने और उन्होंने संस्कृत भाषा की आर्ष व्याकरण पद्धति,...
निर्णय लेने की प्रक्रिया में समय की अत्यन्त महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। जो निर्णय समय रहते ले लिए जाते हैं और आचरण में लाए जाते हैं, वे अपना आश्चर्यजनक परिणाम दिखाते हैं। जबकि समय सीमा के बाहर एक सेकण्ड का विलम्ब भी भयंकर हानि पहुँचाने का कार्य कर सकता है। इसलिए फैसले लेने के लिए सही समय पर...