सफल और असफल व्यक्ति
सफल और असफल व्यक्तियों की आरंभिक क्षमता, योग्यता और अन्य बाह्य परिस्थितियों की तुलना करने पर कोई विशेष अंतर नहीं दीखता। फिर भी दोनों की स्थिति में धरती और आसमान का अंतर आ जाता है। इसका एकमात्र कारण है - एक ने अपनी क्षमताओं को एक सुनिश्चित लक्ष्य की ओर सुनियोजित किया; जबकि एकदूसरे के जीवन में लक्ष्यविहीनता और अस्त-व्यस्तता बनी रही। भौतिक अथवा आध्यात्मिक किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ने वालों के साथ उपर्युक्त तीन विषेशताएँ अनिवार्य रूप से जुडी रही हैं। किसी भी प्रकार की सफलता की आकांक्षा रखने वालों को उपर्युक्त सूत्रों का ही आश्रय लेना होगा।
There is no significant difference when comparing the initial ability, ability and other external circumstances of successful and unsuccessful individuals. Still, in both the cases, there is a difference between the earth and the sky. The only reason for this is - one has channelized one's abilities towards a definite goal; Whereas aimlessness and chaos remained in each other's life. The above three characteristics are necessarily associated with those who move ahead in any field, material or spiritual. Those who aspire for any kind of success will have to take shelter of the above mentioned sources.
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वेद प्रचारक स्वामी दयानन्द महर्षि स्वामी दयानन्द ने वेद प्रचार के लिए ही मुख्यतः सर्वाधिक प्रयत्न किये। उनके मौखिक प्रचार के अतिरिक्त वेदों का भाष्य, सत्यार्थप्रकाश, ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका एवं संस्कारविधि आदि विभिन्न ग्रन्थ वेद प्रचार के ही अंग-प्रत्यंग हैं। वह महाभारत काल के बाद के अपूर्व वेद प्रचारक हुए हैं।...