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विशेष सूचना - Arya Samaj, Arya Samaj Mandir तथा Arya Samaj Marriage और इससे मिलते-जुलते नामों से Internet पर अनेक फर्जी वेबसाईट एवं गुमराह करने वाले आकर्षक विज्ञापन प्रसारित हो रहे हैं। अत: जनहित में सूचना दी जाती है कि इनसे आर्यसमाज विधि से विवाह संस्कार व्यवस्था अथवा अन्य किसी भी प्रकार का व्यवहार करते समय यह पूरी तरह सुनिश्चित कर लें कि इनके द्वारा किया जा रहा कार्य पूरी तरह वैधानिक है अथवा नहीं। "आर्यसमाज विवाह सेवा" अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट द्वारा संचालित अलवर में एकमात्र Marriage Helpline है। भारतीय पब्लिक ट्रस्ट एक्ट (Indian Public Trust Act) के अन्तर्गत पंजीकृत अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट एक शैक्षणिक-सामाजिक-धार्मिक-पारमार्थिक ट्रस्ट है। अलवर में अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट की कोई शाखा या आर्यसमाज मन्दिर नहीं है। Arya Samaj Marriage Helpline is run under aegis of Akhil Bharat Arya Samaj Trust. Akhil Bharat Arya Samaj Trust is an Eduactional, Social, Religious and Charitable Trust Registered under Indian Public Trust Act. Arya Marriage Helpline Alwar is the only controlled by Akhil Bharat Arya Samaj Trust in Alwar. We do not have any other branch or Centre in Alwar. Kindly ensure that you are solemnising your marriage with a registered organisation and do not get mislead by large Buildings or Hall.
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वायु अणु के रूप मे है परन्तु वह अणु इतने छोटे होते हैं कि वह भी हमें आँखों से दिखाई नहीं देते, फिर भी हम वायु के अस्तित्व को अपनी बुद्धि व उसके स्पर्श गुण के आधार पर उसका होना स्वीकार करते हैं। इसी प्रकार संसार में ऐसे अनेक पदार्थ हैं, जो अत्यन्त सूक्ष्म हैं परन्तु आंखों से न दिखने पर भी हम उनका अस्तित्व स्वीकार करते हैं।

अलवर में आर्यसमाज विवाह हेतु आवश्यक दस्तावेज एवं जानकारी

आर्यसमाज द्वारा सम्पन्न होने वाले विवाह "आर्य विवाह मान्यता अधिनियम-1937, अधिनियम क्रमांक 1937 का 19' के अन्तर्गत कानूनी मान्यता प्राप्त हैं। अखिल भारत आर्य समाज ट्रस्ट द्वारा वैवाहिक जोड़ों की कानूनी सुरक्षा (Legal Sefety) एवं पुलिस संरक्षण (Police Protection) हेतु नियमित मार्गदर्शन (Legal Advice) दिया जाता है।

1. वर-वधु दोनों के जन्म प्रमाण हेतु हाई स्कूल की अंकसूची या कोई शासकीय दस्तावेज तथा पहचान हेतु मतदाता परिचय पत्र या आधार कार्ड अथवा पासपोर्ट या अन्य कोई शासकीय दस्तावेज चाहिए। विवाह हेतु वर की अवस्था 21 वर्ष से अधिक तथा वधु की अवस्था 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।

2. वर-वधु दोनों को निर्धारित प्रारूप में ट्रस्ट द्वारा नियुक्त नोटरी द्वारा सत्यापित शपथ पत्र प्रस्तुत करना होगा। किसी अन्य नोटरी से सत्यापित शपथ पत्र स्वीकार नहीं किये जावेंगे।

3. वर-वधु दोनों की अलग-अलग पासपोर्ट साईज की 6-6 फोटो।

4. दोनों पक्षों से दो-दो मिलाकर कुल चार गवाह, परिचय-पहचान पत्र सहित। गवाहों की अवस्था 21 वर्ष से अधिक हो तथा वे हिन्दू-जैन-बौद्ध या सिक्ख होने चाहिएं।

5. विधवा / विधुर होने की स्थिति में पति/पत्नी का मृत्यु प्रमाण पत्र तथा तलाकशुदा होने की स्थिति में तलाकनामा (डिक्री) आवश्यक है।

6. वर-वधु का परस्पर गोत्र अलग-अलग होना चाहिए तथा हिन्दू विवाह अधिनियम के अनुसार कोई निषिद्ध रिश्तेदारी नहीं होनी चाहिए।

शादी-माफ़िया दलालों से सावधान- अलवर, कोटा, दिल्ली, नोएडा, गाज़ियाबाद, जयपुर, भोपाल, इन्दौर, रायपुर, लखनऊ, चण्डीगढ़, मुम्बई, हैदराबाद आदि बड़े शहरों में वकीलों एवं दलालों के शादी-माफिया के रूप में ऐसे अनेक गिरोह सक्रिय हैं, जो भारत के सभी शहरों में इण्टरनेट, सोशल मीडिया एवं समाचार पत्रों के माध्यम से Arya Samaj, Arya Samaj Mandir, Arya Samaj Marriage, Same Day Court Marriage, Legal Marriage, Love Marriage, Head Office और प्रादेशिक कार्यालय तथा इससे मिलते जुलते नामों से आकर्षक विज्ञापन देकर भोले-भाले युवक-युवतियों को अपने जाल में फंसाकर उन्हें गुमराह कर रहे हैं। Fake Location Map बनाने तथा किसी भी शहर में किसी भी मन्दिर के Location Map पर अपना illegal photo एवं illegal Mobile Phone नम्बर डालने में इनको महारत हासिल हैं। प्रेम विवाह के इच्छुक युवक-युवतियाँ इनके जाल में आसानी से फँस जाते हैं। सही मार्गदर्शन के अभाव में ऎसे युवक-युवतियाँ गलत रास्ते पर भी चले जाते हैं। बाद में पछताने के अलावा इनके पास कुछ नहीं बचता।

आर्यसमाज विवाह करने हेतु समस्त जानकारियां फोन द्वारा प्राप्त की जा सकती हैं। विवाह सम्बन्धी जानकारी या पूछताछ‌ के लिए आप मो.- 8120018052 पर (समय - प्रातः 10 से - सायं 8 बजे तक) श्री देव शास्त्री से निसंकोच बात कर समस्त जानकारी प्राप्त कर सकते हैं तथा आपको जिस दिन विवाह करना हो उस मनचाहे दिन की बुकिंग आप फोन पर करा सकते हैं। फोन द्वारा बुकिंग करने के लिए वर-वधू का नाम पता और विवाह की निर्धारित तिथि बताना आवश्यक है।

युगलों की सुरक्षा - प्रेमी युगलों की सुरक्षा एवं गोपनीयता की गम्भीरता को ध्यान में रखते हुए तथा माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रेमी युगलों की सुरक्षा सम्बन्धी दिये गये दिशा-निर्देशों के अनुपालन के अनुक्रम में हमारे आर्य समाज द्वारा विवाह के पूर्व या पश्चात वर एवं वधू की गोपनीयता एवं सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विवाह से सम्बन्धित कोई भी काग़जात, सूचना या जानकारी वर अथवा वधू के घर या उनके माता-पिता को नहीं भेजी जाती है, जिससे विवाह करने वाले युगलों की पहचान को गोपनीय बनाये रखा जा सके, ताकि उनके जीवन की सुरक्षा को खतरा उत्पन्न न हो सके।

विशेष सूचना- इण्टरनेट, सोशल मीडिया एवं समाचार पत्रों में प्रसारित हो रहे अनेक फर्जी वेबसाइट एवं आकर्षक विज्ञापनों को ध्यान में रखते हुए जनहित में सूचना दी जाती है कि इनसे आर्यसमाज विधि से विवाह संस्कार व्यवस्था अथवा अन्य किसी भी प्रकार का व्यवहार करते समय यह पूरी तरह सुनिश्चित कर लें कि इनके द्वारा किया जा रहा कार्य पूरी तरह शासन द्वारा मान्य एवं लिखित अनुमति प्राप्त वैधानिक है अथवा नहीं। इसके लिए सम्बन्धित संस्था को शासन द्वारा प्रदत्त आर्य समाज विधि से अन्तरजातीय आदर्श विवाह करा सकने हेतु लिखित अनुमति अवश्य देख लें, ताकि आपके साथ किसी प्रकार की धोखाधड़ी ना हो।

"आर्यसमाज मैरिज हेल्पलाइन, अलवर" अखिल भारत आर्य समाज ट्रस्ट द्वारा संचालित है। भारतीय पब्लिक ट्रस्ट अधिनियम (Indian Public Trust Act) के अन्तर्गत पंजीकृत अखिल भारत आर्य समाज ट्रस्ट एक सामाजिक-शैक्षणिक-धार्मिक-पारमार्थिक ट्रस्ट है। आप यह सुनिश्चित कर लें कि आपका विवाह शासन (सरकार) द्वारा आर्यसमाज विवाह कराने हेतु मान्य रजिस्टर्ड संस्था में हो रहा है या नहीं। आर्यसमाज होने का दावा करने वाले किसी बडे भवन, हॉल या चमकदार ऑफिस को देखकर गुमराह और भ्रमित ना हों।

अधिक जानकारी के लिये सम्पर्क करें -
(समय - प्रातः 10 से - सायं 8 बजे तक)

आर्य समाज मैरिज हेल्पलाइन अलवर
Helpline: 8120018052
www.aryasamajrajasthan.com

राष्ट्रीय प्रशासनिक मुख्यालय
अखिल भारत आर्य समाज ट्रस्ट
आर्य समाज मन्दिर, दिव्ययुग परिसर
बैंक कॉलोनी, अन्नपूर्णा रोड
इन्दौर (मध्य प्रदेश) 452009
फोन : 0731-2489383, 8989738486
www.allindiaaryasamaj.com


ईश्वर को जानने के लिए गुण व गुणी का सिद्धांत अत्यन्त व्यावहारिक प्रतीत होता है। किसी भी पदार्थ को हम उसके गुणों से जानते हैं। गुणी के दर्शन हमें नहीं होते हैं। रसगुल्ले का उदहारण प्रायः दिया जाता है। रसगुल्ले की आकृति के अनेक पदार्थ हैं परन्तु जिसमें रसगुल्ले का पूर्वानुभूत स्वाद हो, उसी को रसगुल्ला कहा जाता है। आकृति व कोमलता के गुण रसगुल्ले के समान होने पर भी उसमें रसगुल्ले का वास्तविक स्वाद आवश्यक है तभी उसे रसगुल्ला कहा जाता है। ईश्वर को यदि जानना व देखना है तो उसके गुणों को देख व जानकर जाना जा सकता है। मनुष्य जो रचनायें करता है उससे उसकी बनाई वस्तु को देखकर पौरुषेय रचनाकार मनुष्य का ज्ञान होता है। इसी प्रकार पुस्तक को देखकर इसके लेखक, मुद्रक, प्रकाशक, विक्रेता आदि का भी ज्ञान होता है। जब हम सृष्टि को देखते हैं तो हमें यह ज्ञात होता है कि इस सृष्टि में विद्यामन असंख्य व अनन्त सूर्य, चन्द्र, पृथिवी व लोकान्तर आदि हैं जो स्वयं नहीं बन सकते। इन्हें जिसने बनाया व जिसने इन्हें व्यवस्था दी है वह ईश्वर है अन्य कोई नहीं। 

अनन्त सूर्य, चन्द्र, पृथिवी व लोकान्तर आदि यह सभी लोक लोकान्तर ईश्वर द्वारा निर्धारित अपने अपने निर्दिष्ट मार्ग पर चल रहे हैं व ईश्वर के प्रयोजन को सफल कर रहे हैं। इस सृष्टि व लोक लोकान्तरों आदि का रचयिता व धारणकर्ता केवल सर्वज्ञ, सर्व्यापक, सर्वान्तर्यामी, सर्वशक्तिमान, अनादि, अनुत्पन्न, नित्य व अमर परमेश्वर का होना ही संभव है। स्वामी दयानन्द ने इस बात को सिद्धान्त रूप में कहकर -वह लिखते हैं कि रचना विशेष आदि गुणों को देखकर रचयिता का ज्ञान होता है। फूल को देखकर उसकी रचना विशेष आदि गुणों से ईश्वर का प्रत्यक्ष होता है। यदि फूल का अस्तित्व है, उसके गुण, कर्म व स्वभाव सत्य हैं तो फिर उसकी रचना मनुष्येतर सत्ता ईश्वर के द्वारा मानना भी आवश्यक है। मनुष्य उत्पन्न नहीं कर सकते। मनुष्य के अतिरिक्त फूल को बनाने वाली अन्य कोई सत्ता भी नहीं है। अतः मनुष्य, सभी प्राणी व यह सृष्टि ईश्वर के द्वारा बनी है। अतः मनुष्य, सभी प्राणी वह यह सृष्टि ईश्वर के द्वारा बनी है। वही इन सबको धारण व व्यवस्थित किये हुए है। 

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    महात्मा बुद्ध और महर्षि दयानन्द सिद्धार्थ ने आज से लगभग ढाई हजार वर्ष पूर्व इस पृथिवी पर जन्म लिया था। वे जिधर जाते उन्हें हिंसा का अराजक वातावरण दिखाई देता था। लाखों पशुओं की बलि चढाई जा रही थी। धर्म के नाम पर हजारों मूक पशुओं की निर्मम हत्या की जा रही थी। इन हत्याओं को धर्म के ताने-बाने में लपेटा जा रहा था।...

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