Alwar Arya Samaj Chaupanki | Arya Samaj Mandir Marriage Conductor Alwar for Alanpur - Bandhka - Bas Shekhawat - Bhoopsera Alwar - Malsisar Jhunjhunu Rajasthan - Sampla Rohtak Haryana
ज्ञातव्य है कि श्रीमद्भगवद्गीता के १७वें अध्याय के श्लोक क्रमांक ७ से ११ तक सात्विक, राजसी, तामसी भोजन के प्रकार बताये गये हैं, इन्हें समझकर आत्मसात करें। अलवर में आर्यसमाज विवाह हेतु आवश्यक दस्तावेज एवं जानकारी आर्यसमाज द्वारा सम्पन्न होने वाले विवाह "आर्य विवाह मान्यता अधिनियम-1937, अधिनियम क्रमांक 1937 का 19' के अन्तर्गत कानूनी मान्यता प्राप्त हैं। अखिल भारत आर्य समाज ट्रस्ट द्वारा वैवाहिक जोड़ों की कानूनी सुरक्षा (Legal Sefety) एवं पुलिस संरक्षण (Police Protection) हेतु नियमित मार्गदर्शन (Legal Advice) दिया जाता है। 1. वर-वधु दोनों के जन्म प्रमाण हेतु हाई स्कूल की अंकसूची या कोई शासकीय दस्तावेज तथा पहचान हेतु मतदाता परिचय पत्र या आधार कार्ड अथवा पासपोर्ट या अन्य कोई शासकीय दस्तावेज चाहिए। विवाह हेतु वर की अवस्था 21 वर्ष से अधिक तथा वधु की अवस्था 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए। 2. वर-वधु दोनों को निर्धारित प्रारूप में ट्रस्ट द्वारा नियुक्त नोटरी द्वारा सत्यापित शपथ पत्र प्रस्तुत करना होगा। किसी अन्य नोटरी से सत्यापित शपथ पत्र स्वीकार नहीं किये जावेंगे। 3. वर-वधु दोनों की अलग-अलग पासपोर्ट साईज की 6-6 फोटो। 4. दोनों पक्षों से दो-दो मिलाकर कुल चार गवाह, परिचय-पहचान पत्र सहित। गवाहों की अवस्था 21 वर्ष से अधिक हो तथा वे हिन्दू-जैन-बौद्ध या सिक्ख होने चाहिएं। 5. विधवा / विधुर होने की स्थिति में पति/पत्नी का मृत्यु प्रमाण पत्र तथा तलाकशुदा होने की स्थिति में तलाकनामा (डिक्री) आवश्यक है। 6. वर-वधु का परस्पर गोत्र अलग-अलग होना चाहिए तथा हिन्दू विवाह अधिनियम के अनुसार कोई निषिद्ध रिश्तेदारी नहीं होनी चाहिए। शादी-माफ़िया दलालों से सावधान- अलवर, कोटा, दिल्ली, नोएडा, गाज़ियाबाद, जयपुर, भोपाल, इन्दौर, रायपुर, लखनऊ, चण्डीगढ़, मुम्बई, हैदराबाद आदि बड़े शहरों में वकीलों एवं दलालों के शादी-माफिया के रूप में ऐसे अनेक गिरोह सक्रिय हैं, जो भारत के सभी शहरों में इण्टरनेट, सोशल मीडिया एवं समाचार पत्रों के माध्यम से Arya Samaj, Arya Samaj Mandir, Arya Samaj Marriage, Same Day Court Marriage, Legal Marriage, Love Marriage, Head Office और प्रादेशिक कार्यालय तथा इससे मिलते जुलते नामों से आकर्षक विज्ञापन देकर भोले-भाले युवक-युवतियों को अपने जाल में फंसाकर उन्हें गुमराह कर रहे हैं। Fake Location Map बनाने तथा किसी भी शहर में किसी भी मन्दिर के Location Map पर अपना illegal photo एवं illegal Mobile Phone नम्बर डालने में इनको महारत हासिल हैं। प्रेम विवाह के इच्छुक युवक-युवतियाँ इनके जाल में आसानी से फँस जाते हैं। सही मार्गदर्शन के अभाव में ऎसे युवक-युवतियाँ गलत रास्ते पर भी चले जाते हैं। बाद में पछताने के अलावा इनके पास कुछ नहीं बचता। आर्यसमाज विवाह करने हेतु समस्त जानकारियां फोन द्वारा प्राप्त की जा सकती हैं। विवाह सम्बन्धी जानकारी या पूछताछ के लिए आप मो.- 8120018052 पर (समय - प्रातः 10 से - सायं 8 बजे तक) श्री देव शास्त्री से निसंकोच बात कर समस्त जानकारी प्राप्त कर सकते हैं तथा आपको जिस दिन विवाह करना हो उस मनचाहे दिन की बुकिंग आप फोन पर करा सकते हैं। फोन द्वारा बुकिंग करने के लिए वर-वधू का नाम पता और विवाह की निर्धारित तिथि बताना आवश्यक है। युगलों की सुरक्षा - प्रेमी युगलों की सुरक्षा एवं गोपनीयता की गम्भीरता को ध्यान में रखते हुए तथा माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रेमी युगलों की सुरक्षा सम्बन्धी दिये गये दिशा-निर्देशों के अनुपालन के अनुक्रम में हमारे आर्य समाज द्वारा विवाह के पूर्व या पश्चात वर एवं वधू की गोपनीयता एवं सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विवाह से सम्बन्धित कोई भी काग़जात, सूचना या जानकारी वर अथवा वधू के घर या उनके माता-पिता को नहीं भेजी जाती है, जिससे विवाह करने वाले युगलों की पहचान को गोपनीय बनाये रखा जा सके, ताकि उनके जीवन की सुरक्षा को खतरा उत्पन्न न हो सके। विशेष सूचना- इण्टरनेट, सोशल मीडिया एवं समाचार पत्रों में प्रसारित हो रहे अनेक फर्जी वेबसाइट एवं आकर्षक विज्ञापनों को ध्यान में रखते हुए जनहित में सूचना दी जाती है कि इनसे आर्यसमाज विधि से विवाह संस्कार व्यवस्था अथवा अन्य किसी भी प्रकार का व्यवहार करते समय यह पूरी तरह सुनिश्चित कर लें कि इनके द्वारा किया जा रहा कार्य पूरी तरह शासन द्वारा मान्य एवं लिखित अनुमति प्राप्त वैधानिक है अथवा नहीं। इसके लिए सम्बन्धित संस्था को शासन द्वारा प्रदत्त आर्य समाज विधि से अन्तरजातीय आदर्श विवाह करा सकने हेतु लिखित अनुमति अवश्य देख लें, ताकि आपके साथ किसी प्रकार की धोखाधड़ी ना हो। "आर्यसमाज मैरिज हेल्पलाइन, अलवर" अखिल भारत आर्य समाज ट्रस्ट द्वारा संचालित है। भारतीय पब्लिक ट्रस्ट अधिनियम (Indian Public Trust Act) के अन्तर्गत पंजीकृत अखिल भारत आर्य समाज ट्रस्ट एक सामाजिक-शैक्षणिक-धार्मिक-पारमार्थिक ट्रस्ट है। आप यह सुनिश्चित कर लें कि आपका विवाह शासन (सरकार) द्वारा आर्यसमाज विवाह कराने हेतु मान्य रजिस्टर्ड संस्था में हो रहा है या नहीं। आर्यसमाज होने का दावा करने वाले किसी बडे भवन, हॉल या चमकदार ऑफिस को देखकर गुमराह और भ्रमित ना हों। अधिक जानकारी के लिये सम्पर्क करें - आर्य समाज मैरिज हेल्पलाइन अलवर राष्ट्रीय प्रशासनिक मुख्यालय
(समय - प्रातः 10 से - सायं 8 बजे तक)
Helpline: 8120018052
www.aryasamajrajasthan.com
अखिल भारत आर्य समाज ट्रस्ट
आर्य समाज मन्दिर, दिव्ययुग परिसर
बैंक कॉलोनी, अन्नपूर्णा रोड
इन्दौर (मध्य प्रदेश) 452009
फोन : 0731-2489383, 8989738486
www.allindiaaryasamaj.com
गोष्ठियों की कार्यवाही योरोप में तत्कालीन भाषा फ्रेंच में होती थी। इसके द्वारा प्रकशित ग्रंथों में भारतीय साहित्य तथा संस्कृत भाषा का गहन अध्ययन परिलक्षित होता था। सन् 1789 में जोंस महाशय ने महाकवि कालिदास के नाटक अभिज्ञान शाकुन्तलहम् का अंग्रेजी अनुवाद किया। इस अनुवाद को पढ़कर पाश्चात्य विद्वानों की बुद्धि विकसित हुई। 2 वर्ष बाद जब इसका जर्मन अनुवाद हो प्रकाशित हुआ तो उसको पढ़कर जर्मनी के राष्ट्रकवि गेटे नाचने लगे। उन्होंने कहा - नाटकामिदं स्वर्गपृथिव्यामध्ये सोपानसदृशम् अर्थात्त यह नाटक स्वर्ग और पृथ्वी के मध्य सीढ़ी के समान है। महाकवि गेटे के मन में यह काव्य पढ़ने के बाद भारत दर्शन की तीव्र इच्छा जाग्रत हुई। जिस समय भारत पराधीन था, भारत के सांस्कृतिक वैभव के समक्ष नतमस्तक एक योरपीय विभूति ने श्रद्धापूर्वक भारत को तीर्थ मानकर इसकी यात्रा की। इससे प्रभावित होकर 1814 ईस्वी में पेरिस विश्वविद्यालय में संस्कृत का अध्यापन आरम्भ हुआ। पेरिस में शेजी नामक संस्कृत विद्वान् शिक्षण कराते थे। उनके शिष्य प्रसिद्ध वेदों के संकलनकर्ता तथा भाष्यकार मैक्समूलर हुए।
सन् 1819 तक इटली, डेनमार्क, स्वीडन, जर्मनी, फ़्रांस तथा इंग्लैण्ड आदि योरोपीय देशों के विश्वविद्यालयों में संस्कृत का अध्यापन आरम्भ हो गया। योरोपीय देशों के लिये संस्कृत भाषा को खोज पाना कोलम्बस द्वारा अमेरिका की खोज से भी अधिक महत्वपूर्ण घटना है क्योंकि कोलम्बस की यात्रा मूल रूप से भारत को खोजने के लिये ही थी, तथापि चार्ल्स विलियम्स एवं जोन्स ने कोलम्बस के भारत की खोज के सपने को पूर्ण किया। इन दोनों न यूरोपीय देशों को भारत का दर्शन करा दिया। काल के प्रवाह में अब उनकी अधिकांश मान्यताएँ सनातन धर्मग्रन्थों के प्रकाश में कालबाह्य हो गई। वेद, उपनिषद् आदि ग्रन्थों का सार्वजानिक पठन-पाठन भारत के स्वाधीन होने के बाद वह पुनः आरम्भ नहीं हुआ अपितु धर्मनिरपेक्षता के नाम पर उसकी घोर अपकीर्ति भी की जाने लगी। परिणामस्वरूप भारत का सनातन धर्मावलम्बी समाज की प्रगति को अवरुद्ध करने वाले अतार्किक कर्मकाण्डों के बोझ से दब गया।
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महात्मा बुद्ध और महर्षि दयानन्द सिद्धार्थ ने आज से लगभग ढाई हजार वर्ष पूर्व इस पृथिवी पर जन्म लिया था। वे जिधर जाते उन्हें हिंसा का अराजक वातावरण दिखाई देता था। लाखों पशुओं की बलि चढाई जा रही थी। धर्म के नाम पर हजारों मूक पशुओं की निर्मम हत्या की जा रही थी। इन हत्याओं को धर्म के ताने-बाने में लपेटा जा रहा था।...