Alwar Arya Samaj Arandka | Arya Samaj Mandir Marriage Conductor Alwar for Asleempur - Bandapur - Bhindoosi - Burera Alwar - Kishangarh Bas Alwar RJ - Koil Aligarh UP
जहाँ पर असंतुष्टता होगी वहां पर शक्ति को पनपने के लिये मौका मिलता है। परंतु जहाँ संतुष्टि होती है वहाँ दुष्ट शक्तियों के लिये कोई स्थान नहीं होता। हम संतुष्टि रखकर ईश्वर का नाम स्मरण करेंगे तो सारी समस्याएं सारी दुष्ट शक्तियाँ अपने आप हट जाती है। बाहर की संकटमयी स्थितियों का प्रभाव अपने ऊपर कदापि नहीं जायेगा। अलवर में आर्यसमाज विवाह हेतु आवश्यक दस्तावेज एवं जानकारी आर्यसमाज द्वारा सम्पन्न होने वाले विवाह "आर्य विवाह मान्यता अधिनियम-1937, अधिनियम क्रमांक 1937 का 19' के अन्तर्गत कानूनी मान्यता प्राप्त हैं। अखिल भारत आर्य समाज ट्रस्ट द्वारा वैवाहिक जोड़ों की कानूनी सुरक्षा (Legal Sefety) एवं पुलिस संरक्षण (Police Protection) हेतु नियमित मार्गदर्शन (Legal Advice) दिया जाता है। 1. वर-वधु दोनों के जन्म प्रमाण हेतु हाई स्कूल की अंकसूची या कोई शासकीय दस्तावेज तथा पहचान हेतु मतदाता परिचय पत्र या आधार कार्ड अथवा पासपोर्ट या अन्य कोई शासकीय दस्तावेज चाहिए। विवाह हेतु वर की अवस्था 21 वर्ष से अधिक तथा वधु की अवस्था 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए। 2. वर-वधु दोनों को निर्धारित प्रारूप में ट्रस्ट द्वारा नियुक्त नोटरी द्वारा सत्यापित शपथ पत्र प्रस्तुत करना होगा। किसी अन्य नोटरी से सत्यापित शपथ पत्र स्वीकार नहीं किये जावेंगे। 3. वर-वधु दोनों की अलग-अलग पासपोर्ट साईज की 6-6 फोटो। 4. दोनों पक्षों से दो-दो मिलाकर कुल चार गवाह, परिचय-पहचान पत्र सहित। गवाहों की अवस्था 21 वर्ष से अधिक हो तथा वे हिन्दू-जैन-बौद्ध या सिक्ख होने चाहिएं। 5. विधवा / विधुर होने की स्थिति में पति/पत्नी का मृत्यु प्रमाण पत्र तथा तलाकशुदा होने की स्थिति में तलाकनामा (डिक्री) आवश्यक है। 6. वर-वधु का परस्पर गोत्र अलग-अलग होना चाहिए तथा हिन्दू विवाह अधिनियम के अनुसार कोई निषिद्ध रिश्तेदारी नहीं होनी चाहिए। शादी-माफ़िया दलालों से सावधान- अलवर, कोटा, दिल्ली, नोएडा, गाज़ियाबाद, जयपुर, भोपाल, इन्दौर, रायपुर, लखनऊ, चण्डीगढ़, मुम्बई, हैदराबाद आदि बड़े शहरों में वकीलों एवं दलालों के शादी-माफिया के रूप में ऐसे अनेक गिरोह सक्रिय हैं, जो भारत के सभी शहरों में इण्टरनेट, सोशल मीडिया एवं समाचार पत्रों के माध्यम से Arya Samaj, Arya Samaj Mandir, Arya Samaj Marriage, Same Day Court Marriage, Legal Marriage, Love Marriage, Head Office और प्रादेशिक कार्यालय तथा इससे मिलते जुलते नामों से आकर्षक विज्ञापन देकर भोले-भाले युवक-युवतियों को अपने जाल में फंसाकर उन्हें गुमराह कर रहे हैं। Fake Location Map बनाने तथा किसी भी शहर में किसी भी मन्दिर के Location Map पर अपना illegal photo एवं illegal Mobile Phone नम्बर डालने में इनको महारत हासिल हैं। प्रेम विवाह के इच्छुक युवक-युवतियाँ इनके जाल में आसानी से फँस जाते हैं। सही मार्गदर्शन के अभाव में ऎसे युवक-युवतियाँ गलत रास्ते पर भी चले जाते हैं। बाद में पछताने के अलावा इनके पास कुछ नहीं बचता। आर्यसमाज विवाह करने हेतु समस्त जानकारियां फोन द्वारा प्राप्त की जा सकती हैं। विवाह सम्बन्धी जानकारी या पूछताछ के लिए आप मो.- 8120018052 पर (समय - प्रातः 10 से - सायं 8 बजे तक) श्री देव शास्त्री से निसंकोच बात कर समस्त जानकारी प्राप्त कर सकते हैं तथा आपको जिस दिन विवाह करना हो उस मनचाहे दिन की बुकिंग आप फोन पर करा सकते हैं। फोन द्वारा बुकिंग करने के लिए वर-वधू का नाम पता और विवाह की निर्धारित तिथि बताना आवश्यक है। युगलों की सुरक्षा - प्रेमी युगलों की सुरक्षा एवं गोपनीयता की गम्भीरता को ध्यान में रखते हुए तथा माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रेमी युगलों की सुरक्षा सम्बन्धी दिये गये दिशा-निर्देशों के अनुपालन के अनुक्रम में हमारे आर्य समाज द्वारा विवाह के पूर्व या पश्चात वर एवं वधू की गोपनीयता एवं सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विवाह से सम्बन्धित कोई भी काग़जात, सूचना या जानकारी वर अथवा वधू के घर या उनके माता-पिता को नहीं भेजी जाती है, जिससे विवाह करने वाले युगलों की पहचान को गोपनीय बनाये रखा जा सके, ताकि उनके जीवन की सुरक्षा को खतरा उत्पन्न न हो सके। विशेष सूचना- इण्टरनेट, सोशल मीडिया एवं समाचार पत्रों में प्रसारित हो रहे अनेक फर्जी वेबसाइट एवं आकर्षक विज्ञापनों को ध्यान में रखते हुए जनहित में सूचना दी जाती है कि इनसे आर्यसमाज विधि से विवाह संस्कार व्यवस्था अथवा अन्य किसी भी प्रकार का व्यवहार करते समय यह पूरी तरह सुनिश्चित कर लें कि इनके द्वारा किया जा रहा कार्य पूरी तरह शासन द्वारा मान्य एवं लिखित अनुमति प्राप्त वैधानिक है अथवा नहीं। इसके लिए सम्बन्धित संस्था को शासन द्वारा प्रदत्त आर्य समाज विधि से अन्तरजातीय आदर्श विवाह करा सकने हेतु लिखित अनुमति अवश्य देख लें, ताकि आपके साथ किसी प्रकार की धोखाधड़ी ना हो। "आर्यसमाज मैरिज हेल्पलाइन, अलवर" अखिल भारत आर्य समाज ट्रस्ट द्वारा संचालित है। भारतीय पब्लिक ट्रस्ट अधिनियम (Indian Public Trust Act) के अन्तर्गत पंजीकृत अखिल भारत आर्य समाज ट्रस्ट एक सामाजिक-शैक्षणिक-धार्मिक-पारमार्थिक ट्रस्ट है। आप यह सुनिश्चित कर लें कि आपका विवाह शासन (सरकार) द्वारा आर्यसमाज विवाह कराने हेतु मान्य रजिस्टर्ड संस्था में हो रहा है या नहीं। आर्यसमाज होने का दावा करने वाले किसी बडे भवन, हॉल या चमकदार ऑफिस को देखकर गुमराह और भ्रमित ना हों। अधिक जानकारी के लिये सम्पर्क करें - आर्य समाज मैरिज हेल्पलाइन अलवर राष्ट्रीय प्रशासनिक मुख्यालय
(समय - प्रातः 10 से - सायं 8 बजे तक)
Helpline: 8120018052
www.aryasamajrajasthan.com
अखिल भारत आर्य समाज ट्रस्ट
आर्य समाज मन्दिर, दिव्ययुग परिसर
बैंक कॉलोनी, अन्नपूर्णा रोड
इन्दौर (मध्य प्रदेश) 452009
फोन : 0731-2489383, 8989738486
www.allindiaaryasamaj.com
अन्तर में परमात्मा स्मरण हो तो सहज सरल सारे कार्य होते चले जायेंगे। विषयभोग की ओर जाने वाले अपने अवगुणों को नष्ट करके हमें परमार्थ करते हुए ईश्वर की ओर जाना होगा। यह कार्य हम तभी कर सकते हैं जब प्रेम हमारे ह्रदय में होगा। श्रद्धा, विश्वास और भक्ति में अपने सारे भावों को जोड़कर हम परमात्मा की शरण में जाते हैं तो अवश्य ही हमारे सारे मनोरथ पूर्ण करते हुए इस जीवन को प्रेममयी बनाता है। फिर हमें अपने और बेगानों के बीच में कोई अन्तर नहीं दिखायी देगा। सारा कार्य मानवीय धरातल के आधार पर होता जायेगा। जीवन में किसी महान व्यक्तित्व के पीछे उसे साकार रूप देने के लिये कोई न कोई शक्ति अवश्य रहती है। महान संत शिरोमणी जिसने रामचरित को जन-जन के मानस में उतार दिया, वह तुलसीदासजी की पत्नी उनके लिये प्रेरणादायी बन गई। कहते हैं रत्नावली यदि नहीं होती तो तुलसीदास संत तुलसीदास नहीं होते। प्रेम के उच्च आदर्शों को ईश्वर की तरफ मोड़ने का कार्य किया रत्नावली ने। जिसका जीवन अंगारो की सेज पर करवटे बदलता रहता है। पति के होते हुए भी पतिविहीन शुद्ध जीवन जीने वाली भारतीय आदर्श नारी का सन्मान हमें करना ही होगा।
संत तुलसीदासजी रामायण कथा कहते थे। एक सुन्दर युवक, उनकी वाणी में मिठास थी, लोग गांव से उनकी कथा सुनने आते थे। राम कथा के बीच ही तुलसीदासजी सुन्दर कविताएं सुनाकर सबका मन मोह लेते थे। पनघट पर, बाजार में, गाँव की चौपालों पर तुलसीदासजी की राम कथा का वर्णन होता रहता था। रत्ना वह नारी थी जिसने यह चाहा कि पति प्रसिद्ध बने। वह जग में सम्मानित हो। तुलसीदास तो अब राम से अधिक रत्ना को प्रेम करने लगे। जो पहले त्यागी और सज्जन उसे दिखाई देता था व तो भौतिक सुख के पीछे आ रहा है। जो ओजस्वी स्वरूप था वह अतृत्पि में पिघल रहा है। इस तरह के विचार के मन में आते और उसका मन ग्लानि से भर जाता है। जहाँ रत्ना जाती तुलसी उसके पीछे-पीछे चले जाते। यदि नदी पर पानी भरने आई तो वह भी घड़ा उठाने उसके साथ पहुँच जाते। घर में उसके कामों में आहत बँटाते। गाँव की सभी महिलाएं उन पर हंसती थी और रत्ना को यह सब अच्छा नहीं लगता। रत्ना ने यह कभी नहीं चाहा कि तुलसीदास को वह अपमानित करें बल्कि वह तो यह चाहती थी कि मेरे पति महान बने। वह अपना जीवन अपने पुत्रों में और पति के पद-चिन्हों पर बिताती थी। उन्हें श्रीराम से अनुराग है यही भाव मन में लाकर पुलकित हो जाती थी।
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महात्मा बुद्ध और महर्षि दयानन्द सिद्धार्थ ने आज से लगभग ढाई हजार वर्ष पूर्व इस पृथिवी पर जन्म लिया था। वे जिधर जाते उन्हें हिंसा का अराजक वातावरण दिखाई देता था। लाखों पशुओं की बलि चढाई जा रही थी। धर्म के नाम पर हजारों मूक पशुओं की निर्मम हत्या की जा रही थी। इन हत्याओं को धर्म के ताने-बाने में लपेटा जा रहा था।...